चाहते हो ग़र जीतना, तो पहले हारने का दम रखो l-2
मुस्कुराना है ग़र जी भर,
तो पहले आँसुंओं से नहाना सीखो l
होना है ग़र चट्टान सा,
तो पहले रेतसा बिखरना सीखोl-2
सही क़ीमत चुकाए बिना, अगर कुछ मिलभी जाये l-2
तो पाने में वो बात नहीं होती,
पाना है ग़र सुख़ ज़माने का तो, पहले गंवाने का हौसला रखो l -2
हर कदम पर ये सोचना, कि अगले दम क्या होगा?-2
यूँ न ज़िन्दगी का सफ़र ख़ुशनुमा होगा l
अंधी दौड़ में सुकून कहाँ?-2
सुकून के लिए तो ठहरना होगा l-2
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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