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लेखक की तस्वीरVivek Pathak

ज़िन्दगी का सुकून

चाहते हो ग़र जीतना, तो पहले हारने का दम रखो l-2

मुस्कुराना है ग़र जी भर,

तो पहले आँसुंओं से नहाना सीखो l


होना है ग़र चट्टान सा,

तो पहले रेतसा बिखरना सीखोl-2


सही क़ीमत चुकाए बिना, अगर कुछ मिलभी जाये l-2

तो पाने में वो बात नहीं होती,

पाना है ग़र सुख़ ज़माने का तो, पहले गंवाने का हौसला रखो l -2


हर कदम पर ये सोचना, कि अगले दम क्या होगा?-2

यूँ न ज़िन्दगी का सफ़र ख़ुशनुमा होगा l


अंधी दौड़ में सुकून कहाँ?-2

सुकून के लिए तो ठहरना होगा l-2


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक



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