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लेखक की तस्वीरVivek Pathak

हूँ मैं धर्म सापेक्ष

अपडेट करने की तारीख: 1 फ़र॰

गर्व से कहो, हूँ मैं धर्म सापेक्ष 

गर्व से कहो, हूँ मैं धर्म सापेक्ष 

और मिटा दो झूठी निर्पेक्षता के कालनेमि को l


गर्व से कहो, हूँ मैं सनातनी l गर्व से कहो,हूँ मैं सनातनी बसते हैं राम मेरी नस नस में, परखना है तो परख लो, अगर है तुम्हारे बस में l


राम राम में ही शान्ति है जप लो

राम राम में ही शान्ति है जप लो 

अगर हुआ हर हर, तो टूट जाएँगी सीमाएं सारी, 

बचेगी केवल भस्म, हो जाएँगी दूर बीमारियां सारी l


गर्व से कहो, हूँ मैं धर्म सापेक्ष 

गर्व से कहो, हूँ मैं सनातनी 

बसते हैं राम मेरी नस नस में,

परखना है तो परख लो, अगर है तुम्हारे बस में l


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

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