किसी और की सफलता देखकर,
आपका दिल खिलजाये l
किसी और की चमक में भी,
आपको अपनी रौशनी का अहसास हो l
किसी और की उड़ान में भी, अपनी सी ऊंचाई का अहसास हो l
जब कोई आगे बढे तो, ईर्षा का नाम-ओ-निशाँ न हो l
और दूसरे के पुरूस्कार में, आपकी भी तालियाँ शामिल हों l-2
तो जान लीजिये वो दिन अब दूर नहीं-2
कि ये सफलता, ये चमक, ये पुरूस्कार,
ये उड़ान आपकी भी होगी l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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