ग़ुमान था कि शायर हूँ, ख़ुशनवर हूँ -2
फिर दिनकर, नीरज, मीरा, कबीर, सूर,
निराला को सुन बैठा l
अरे बात यहाँ ख़त्म न हुई-2
ग़ालिब और जौन एलिया को सुना, तो तबाह हो बैठा l
दिमाग़-औ- ज़ुबाँ से कहने में वो बात कहाँ-2
जब ख़ुद पर बीती तो शायर हो बैठा l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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