हे कृष्ण…!!
समय नहीं है अब मुरली का, रास को अब विदा करो l
समय हो गया है गीता का, अर्जुन में हुँकार भरो l
गोकुल की लीला त्यागकर, रण में अब शँखनाद करोl
दया-क्षमा के खलौनों से, बाद में खेलेंगे,
सत्य की तलवार पर, अब धार धरो l
हुए विफल सभी सुप्रयास,
कुटिल, नीच और निकृष्टों का, अब तो सँहार करो l
विनाश की राख़ पर ही, सृजन का बीज बोया जायेगा,
जब तक न टूटे दुर्योधन की जँघा, तब तक कहाँ न्याय हो पायेगा l
हे कृष्ण…!!
समय नहीं है अब मुरली का, रास को अब विदा करो l
समय हो गया है गीता का, अर्जुन में हुँकार भरो l
गोकुल की लीला त्यागकर, रण में अब शँखनाद करोl
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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