मैं पढ़ालिखा हिन्दू हूँ, भारत में 80% हूँ, फिर भी चिंतित हूँ, क्यों कि मैं पढ़ालिखा हिन्दू हूँ l
टुकड़ों में बँटा हुआ, बेकार की बातों में अपनों से दूर होता, आत्ममुग्दध, सर्वनाश के अँधकार की ओर प्रगतिशील, अमावस्या का इंदु हूँ l
क्यों कि मैं पढ़ालिखा हिन्दू हूँ l
कायरता को अहिंसा कहता, अतीत से विमुख, अपनी भूमि से उखड़ता, सदा अवतार की प्रतीक्षा करता, दायित्त्व विहीन निर्बलता का मैं सिंधु हूँ l
क्यों कि मैं पढ़ालिखा हिन्दू हूँ l
दुष्टों की कुटिलता का आखेट, भाई चारे का चारा,
सहिष्णुता के खोखले आख्यानों का बंधक, स्वयं की संस्कृति से लज्जित, अपनी पहचान मिटाता मूर्खता का मैं बिन्दु हूँ l
क्यों कि मैं पढ़ालिखा हिन्दू हूँ l -2
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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