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लेखक की तस्वीरVivek Pathak

मृत्यु को जीतना

मृत्यु को जीतना, शरीर की अमरता नहीं,

ये तो सबका यहीं मिट जाना है l


सबके पास है, एक ही दिन आज का,

समेट लो वो सबकुछ, जो कल साथ जाना है l


निष्छल प्रेम, निष्कपट हृदय, असहाय की सहायता और रोते के आँसू पोंछते जाना है l


मेरी दृष्टि में बस यही है, जो कल साथ जाना है l


जो कुछ मिला है यहाँ, वो अबकुछ उधार है, 

और यहीं चुका के जाना है l


सीख लिया जिसने, जीने का ये सलीक़ा, 

ये जान लिया उसने, कि मृत्यु को जीतना क्या है?


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

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