कहते हैं न कि, जो मर जाते हैं वो बस यादों में रह जाते हैंl
रहता नहीं उनका वज़ूद, वो बस बातों में रह जाते हैंl
ग़लत कहते हैं!!
हर सुख अधूरा रह जाता है, जिनकी कृपा बिना,
न हो पाए कोई पूजा या संस्कार पूरा, जिनको पूजे बिनाl
न बढ़ सके वंश, जिनके आशीष के बिना,
न होगी पहचान तुम्हारी पूरी, जिनके नाम के बिनाl
बात कर रहा हूँ मैं उनकी,
जिनके मौन त्याग और संघर्ष के फल तुम हो l
बात कर रहा हूँ मैं पूर्वजों की, बात कर रहा हूँ मैं पितृों कीl
होंगे नहीं प्रसन्न ईश्वर भी तुमसे, जबतक हैं कष्ट में वोl
कुछ है ऐसा जो वो स्वयं के लिए नहीं कर सकते,
बस यही अपेक्षा उनकी रहती है तुमसे,
की वो काम तुम उनकेलिए करोl
श्राद्ध करो-श्राद्ध करो, कि करो उनको याद,
कि रोज़ करो उनके लिए ईश्वर से फ़रियादl
बस यही होगा सच्चा श्राद्ध, बस यही होगा सच्चा श्राद्ध ll
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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