एक पुराने घर में चूने की पुताई और रंग रोग़न,
घर में गूँजता संगीत और गाना बजाना और दरवाजों को गेंदे के फूलों से सजाना,
दुल्हन के आगमन का समय और आंगन को ख़ुशिओं से सजाना l
पुराने घर की दीवारों से पुलकित हरियाली, जैसे पित्रों का पूर्वजों का आशीर्वाद पाना l
भविष्य की ख़ुशियाँ, ऊँचे भवन और जीवन में आगे बढ़ते जाना, पर अपने पुराने मकान को न कभी अपनी स्मृतिओं से मिटाना l
पूर्वजों की चेतना के प्रतीक, उस पुराने मकान की स्मृतियों को न कभी अपने ह्रदय से मिटाना l
उससे जुडी, उन सभी कहानिओं और भावनाओं को, नई पीढ़ी में संस्कारों की तरह पिरोते जाना l
पूर्वजों का आशीर्वाद पाते जाना,
पूर्वजों का आशीर्वाद पाते जाना l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
Comentários