न कोई शिक़ायत है अब, न शिक़वा कोई l-2
तुमने जो किया, वो तुम्हारे सामने आयेगा,
मुझे जो मिला, मेरा किया मेरे सामने आया l
न कोई शिक़ायत है अब, न शिक़वा कोई l
यूं तो कर्मों का खेल आसान नहीं,-2
कुछ शर्तें हैं, जो पूरी करते जाना है l कि अपना किया ही, आज नहीं तो कल सामने आना है l-2
क्यों करें वो दूसरों के साथ,
जो ख़ुद के साथ होना ग़वारा नहीं l-2
तुम्हें जिताने के लिए ,खो दिया जिसने सबकुछ,-2
कभी उसको हराना नहीं l
जो सरल है, जो सहज, उसके साथ विश्वासघात,-2
ईश्वर को स्वयं के विरुद्ध कर जाना है,
ईश्वर को स्वयं का शत्रु बनाना है l-2
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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