सत्य का अगर पता नहीं, और कर रहे हो वो,
जो नहीं करना चाहिए, तो दोषी सिर्फ आप हो l
जान के कर रहे हो अगर कुकर्म आप, तो फिर कोई काम नहीं आएगा-पैसा, औदा, दोस्त, भाई, न बाप l
अकेले ही झेलना पड़ेगा कर्मों का सारा हिसाब, कोई काम नहीं आएगा- पैसा, औदा, दोस्त, भाई, न बाप l
पूर्वजों ने क्या किया तुम्हारे? खोजो उसे,
तभी सत्य को जान पाओगे,
नहीं तो बिना परखी, भ्रमित बातों से अंधे हो जाओगे l
नहीं तो बिना परखी, भ्रमित बातों से अंधे हो जाओगे l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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