क्षण भर में ‘सम्पूर्ण-अर्जित’ त्यागने की क्षमता l
क्षण भर में ‘प्रियतम-प्यारे’ से विमुख होने की क्षमताl
क्षण भर में किसी ‘निरीह-पराये’ को ह्रदय से लगाने की क्षमता l
क्षण भर में ही ‘जन कल्याण यज्ञ’ में स्वयं की आहुति देने की क्षमता l
अगर आप में है , तो आप उस ‘अवर्णीय सर्वेश्वर स्थिती’ के सबसे निकट हैं l
आपका भूत मिट चुका है, वर्तमान उद्दीप्त है और भविष्य उज्जवल l
ll शुभं भवतु ll ll ॐ नमः शिवाय ll
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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