पैसा, ज़र-ओ-ज़मीन, मोहब्बत, वारिस, औरत और सबसे ऊपर ताक़त...
आदमी को सब चाहिए...-2
उसपे, जितना मिल गया काफी नहीं, और चाहिए...-2
देखता नहीं रुककर पल भर भी, कि क्यों आया है?-2
बस दौड़ता रहता है, और के फेर में...
गँवा देता है आजको बस इसलिए, कि कल जीसके-2
एक तो ज़रूरी नहीं कि कल आये...
दूजा आएगा भी, तो आज बनके ही आएगा..-2
यही एक पल है जीलो इसे, ऐसे...-2
कि ख़ुद का पेट भरा हो,
तो औरों की भूख मिटा पाओ...
चेहरे पे तुम्हारे मुस्कुराहट हो,
तो रोते के आँसू पोंछ पाओ...
और जो हार गया हो जीवन से,
उसे जीना सिखा पाओ l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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