कमी हो तो, पूर्ती में हैं शिव l
डर हो तो, रक्षण में हैं शिव l
दृष्टि में हैं शिव, अनुभव में हैं शिव l
होने में हैं शिव, खोने में हैं शिव l
भक्ति में हैं शिव, शक्ति में हैं शिव l
अंधकार में आदित्य हैं शिव l
अज्ञान में ज्ञान का प्रकाश हैं शिव l
अहंकार और पाखण्ड के विनाश में हैं शिव l
खुद का कमाया, सहज बाँटने में हैं शिव l
पिता के त्याग में, माँ की करुणा में हैं शिव l
एक आदर्श जीवनसाथी और पूर्ण पिता होने में हैं शिव l
दूसरों के विष को पीकर भी, अमृत बाँटने में हैं शिवl जनकल्याण का पर्याय और सृष्टि के संतुलन में हैं शिव l गुरूओं में सर्वोच्च, ईश्वर का प्रमाण हैं शिव l
करुणा के सागर, शक्ति के सर्वोच्च शिखर हैं शिव l
शक्ति के धारक, शक्ति के पूरक, सबके लिए सामान हैं शिव l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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