top of page
खोज करे
लेखक की तस्वीरVivek Pathak

आभारी हूँ !!

अपडेट करने की तारीख: 16 अप्रैल 2023

आभारी हूँ उन कष्टों का, जिनसे मानव होने का भान हुआ l

नतमस्तक हूँ उस हार के सन्मुख, 

जिसमें जीत की व्यर्थता का ज्ञान हुआ l

ऋणी रहूँगा सभी तिरस्कारों का, 

कि जिससे स्वयं के सम्मान का बोध हुआ l

हर पीड़ा मित्र है मेरी, 

कि कारण जिसके औरों का दर्द, मुझे आभास हुआ l

हर अँधेरा मेरा सहायक हुआ, जब कोई नहीं था साथ मेरे l


राधा ने बाँटा कृष्ण को,

मीरा ने विष पान किया,

हनुमत ने चीरा छाती को,

दधीचि ने जीवित अस्थि दान किया l


बिना समर्पण, बिना दिए, बिना स्वयं को अर्पित किये,

कहाँ किसी को कुछ प्राप्त हुआ l

आभारी हूँ, नतमस्तक हूँ, ऋणी रहूँगा पीड़ा तेरा, 

तेरे ही कारण मुझे, मेरे ‘राम’ का संज्ञान हुआ l


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक


16 दृश्य0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

है स्वीकार

तुझसे मिली खुशियाँ क़ुबूल हैं जब, तो फिर ग़म से भी, नहीं है एतराज़ l आती है ख़ुशबू गुल से जब, तो शूल जो दर्द मिले, वो भी हैं स्वीकार l उतरती...

द्वन्द

उदास हो जाता हूँ, जब चाहकर भी, किसी की मदद के लिए रुक नहीं पता हूँ l जल्दी में हूँ, हूँ भीड़ में, चाहकर भी मुड़ नहीं पाता हूँ l मन कुछ कहता...

मूर्खता का प्रमाण

यूँ ही परेशां हूँ, कि ये न मिला वो न मिला, पर जो मिला है उसे गिनता ही नहीं l जब देखता हूँ ग़म दूसरों के, तो लगते अपने ग़म कुछ भी नहीं l...

Comments


bottom of page