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लेखक की तस्वीरVivek Pathak

आगे बढ़ो और बढ़ते रहोl

रूठ कर जाने वाला तो, अक्सर वापस आ जाता है l-२

पर मुस्कुरा के जो जाता है, वह फिर कभी वापस नहीं आता है l


व्यर्थ है, लगाना कयास और करते रहना प्रयास, -२

टूटे कांच को जोड़ने का l


शाख से टूटा फल और मन से उतरा रिश्ता ,-२

फिर वापस नहीं जुड़ पता है |


लो सबक अपनी गलतियों से,-२ और आगे बढ़ो l


करो स्वीकार उसे, जिसे बदल ना सको |-२


आगे बढ़ो और बढ़ते रहोl आगे बढ़ो और बढ़ते रहोl


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

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