रूठ कर जाने वाला तो, अक्सर वापस आ जाता है l-२
पर मुस्कुरा के जो जाता है, वह फिर कभी वापस नहीं आता है l
व्यर्थ है, लगाना कयास और करते रहना प्रयास, -२
टूटे कांच को जोड़ने का l
शाख से टूटा फल और मन से उतरा रिश्ता ,-२
फिर वापस नहीं जुड़ पता है |
लो सबक अपनी गलतियों से,-२ और आगे बढ़ो l
करो स्वीकार उसे, जिसे बदल ना सको |-२
आगे बढ़ो और बढ़ते रहोl आगे बढ़ो और बढ़ते रहोl
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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