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लेखक की तस्वीरVivek Pathak

अपने होने का औचित्य!

अपडेट करने की तारीख: 16 अप्रैल 2023

किसी ने क्या खूब कहा है कि, 

जरूरी नहीं हर किसी को मंज़िल मिल जाय l


तो ज़नाब किया क्या जाये?

मुझे लगता है दिया बनके राहों को रोशन किया जाये l


लोग कहते हैं तुम्हारा दिया इस अँधेरे को मिटा पायेगा?

और मैं कहता हूँ, कम से कम मेरा होना सार्थक हो जायेगा l


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक



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