किसी ने क्या खूब कहा है कि,
जरूरी नहीं हर किसी को मंज़िल मिल जाय l
तो ज़नाब किया क्या जाये?
मुझे लगता है दिया बनके राहों को रोशन किया जाये l
लोग कहते हैं तुम्हारा दिया इस अँधेरे को मिटा पायेगा?
और मैं कहता हूँ, कम से कम मेरा होना सार्थक हो जायेगा l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक
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