top of page
खोज करे
लेखक की तस्वीरVivek Pathak

दर्द

अपनों ने जो तोडा दिल तो पता चला, 

कि जो गैरों से मिला था वो दर्द ही न था l


ज़िन्दगी में दर्द का होना तो लाज़मी है, 

पर दर्द ऐसे भी होते हैं, ये पता न था l


हाँ मैंने भी चाहा था कुछ, 

बदले में, उनसे, कैसे बताऊँ, 

कि प्रेम के सिवा कुछ और न चाहा था l


ख़ैर बताने, जताने, समझाने के दौर हुए,अब ख़त्म l 


अपने अँधेरे और अपनी रौशनी के साथ, 

अपनी राह पर, अब अकेले हैं हम…

हाँ अपनी राह पर, अब अकेले हैं हम…


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक


3 दृश्य0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

है स्वीकार

तुझसे मिली खुशियाँ क़ुबूल हैं जब, तो फिर ग़म से भी, नहीं है एतराज़ l आती है ख़ुशबू गुल से जब, तो शूल जो दर्द मिले, वो भी हैं स्वीकार l उतरती...

द्वन्द

उदास हो जाता हूँ, जब चाहकर भी, किसी की मदद के लिए रुक नहीं पता हूँ l जल्दी में हूँ, हूँ भीड़ में, चाहकर भी मुड़ नहीं पाता हूँ l मन कुछ कहता...

मूर्खता का प्रमाण

यूँ ही परेशां हूँ, कि ये न मिला वो न मिला, पर जो मिला है उसे गिनता ही नहीं l जब देखता हूँ ग़म दूसरों के, तो लगते अपने ग़म कुछ भी नहीं l...

Comments


bottom of page