है स्वीकार
तुझसे मिली खुशियाँ क़ुबूल हैं जब, तो फिर ग़म से भी, नहीं है एतराज़ l आती है ख़ुशबू गुल से जब, तो शूल जो दर्द मिले, वो भी हैं स्वीकार l उतरती...
है स्वीकार
द्वन्द
मूर्खता का प्रमाण
युद्ध करो
शायर हो बैठा
मूल्य चुकाना होगा
रौशनी की जाये
"स्वान", मानव का परम मित्र
नए युग का आरंभ
कलि का सत्य
शायर होना अभी बाक़ी है
किसीसे अब कुछ कहता नहीं
अब कुछ अलग है
हकीक़त
कैसा हूँ मैं ?
शिव आरहे हैं मेरे पास
शहीद की कहानी
तू ही है बस
क्यों चाहिए सब?
मेरे अनुभव…घाट पर